परछाई भी अलग लगती है चलने ,
और नज़रिया ज़िन्दगी का सिमट कर रह जाता है | 
बड़ा अजीब वक़्त होता है वो,
जब इंसान अपनी बेबसी से रूबरू हो जाता है |