तू  थक गया तो क्या 
जिस्म में  बाकी है जान अभी 
बारिश थम गयी तो क्या 
जहान में बाकि है आसमान अभी | 

बैठ जाने से पंछी उड़ना भुला नहीं करते
मुश्किल है तो क्या,
ज़िन्दगी में बाकि है मुक़ाम अभी | 

जिसे तू जंग समझ रहा वो मैदान-ए-ज़िन्दगी है 
तू भटक गया तो क्या 
सपनों में बाकि हैं अरमान अभी |